देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहा जाने वाला किसान हमारी आर्थिक, सामाजिक और आध्यात्मिक उन्नति का माध्यम भी होता है। राजस्थान एक कृषि प्रधान प्रदेश है इसलिए यहां राज्य सरकार ने प्रदेश में किसान की उन्नति व प्रगति के लिए कई योजनाओं और नीतियों का निर्धारण कर, उनका प्रभावी क्रियान्वयन भी सुनिश्चित किया है। अब प्रदेश के किसानों के लिए राजस्थान की गहलोत सरकार आगामी वित्त वर्ष में एक और अभिनव पहल (farm budget ) करने जा रही है।
राज्य के इतिहास में पहली बार राजस्थान का कृषि बजट (farm budget ) अलग से पेश होगा। इस बजट में खेती किसानी, पशुपालन और डेयरी से जुड़े प्रस्ताव पेश किये जाएंगे। किसानों से जुड़े मुद्दों पर मुख्यमंत्री घोषणाएं करेंगे। यह वही मुद्दे हैं जिन्हें किसानों से सलाह मशविरे के बाद बजट में शामिल किया गया है। सरकार ने बजट बनाने से पूर्व प्रदेश के हर संभाग के किसानों, पशुपालकों, मछली पालकों, सहकारिता, डेयरी विशेषज्ञों और विषय विशेषज्ञों से सीधे संवाद के तौर पर इस बजट को मूल रूप दिया है।
मुख्यमंत्री ने इस बात पर पूरा गौर किया है कि प्रदेश के किसान सरकार से क्या चाहते हैं। इसी के अनुरूप बजट का स्वरूप तय किया गया है। बजट को बनाने में सरकार ने सभी सात संभागों में बैठकें कर प्रगतिशील किसानों से सुझाव लिए, इसके अतिरिक्त सरकार ने पूरे प्रदेश के किसानों और पशुपालकों को अपने सुझाव पत्र के माध्यम से तथा ऑनलाइन भेजने का भी अवसर दिया।
बजट की तैयारी में जुटी सरकार को इस दौरान जैविक सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया सरल बनाने, फूड पैकेजिंग और प्रोसेसिंग को बढ़ावा देने, विभिन्न जिंसों के भंडारण गृहों व कोल्ड स्टोरेज चेन को विस्तार देने, ड्रिप इरिगेशन और फार्म पॉन्ड में अनुदान बढ़ाने, फल-फूल-सब्जी और खाद्यान्न के विक्रय और प्रचार की सुविधाओं में विस्तार, नहरों का विस्तार, खाद का समय पर भंडारण, ज्यादा से ज्यादा वेयर हाउस बनाने, पशु व हाट मेलों के अधिक आयोजन करने जैसे सुझाव किसानों से मिले। जिसके बाद सरकार ने उनकी आवश्यकताओं के बारे में पूरी रिसर्च कर इसे तैयार किया है। बजट में सरकार का फोकस किसान की आय बढ़ाने, अच्छा पशुधन व अच्छी नस्ल तैयार करने जैसे उपायों पर रहने वाला है।
माना जा रहा है कि सरकार इस किसान बजट में कृषि योजनाओं का बजट बढ़ा सकती है, कृषकों को लोन देने की सुविधा के लिए बैंकों को पाबंद करने, कृषि मंडियों का उन्नयन, नई मंडी और कार्यालयों का निर्माण तथा विस्तार, कृषि व पशु बीमा से संबंधित नियमों का सरलीकरण करने जैसे फैसले ले सकती है। इसके अतिरिक्त कृषिगत विस्तार का पुनरुद्धार करने के लिए किसान स्कूलों की स्थापना, एमएसपी का प्रभावी क्रियान्वयन, कृषि बाज़ार अवसंरचना के विकास, किसान परिवारों के लिए गैर कृषिगत ग्रामीण रोजगार पहल और ग्रामीण ऊर्जा जैसे समेकित निर्णय भी सरकार द्वारा इस कृषि बजट में लिए जा सकते हैं। किसानों को प्राकृतिक आपदाओं, कीटों और बीमारियों, फसल बर्बादे से बचाव के लिए अनुदान जैसे प्रावधान भी इस बजट में शामिल किये जा सकते हैं।
फिलहाल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के इस ऐतिहासिक कदम पर पूरे देश की नज़रें टिकी हुई हैं। किसानों के लिए बेहद ही संवेदनशील रहे सीएम गहलोत से राज्य के किसानों को भी बेहद उम्मीद है और वह इस कृषि बजट को बड़ी आस के साथ देख रहे हैं। किसानों को आशा है कि यह बजट उनके लिए विकास के नए आयाम स्थापित करने वाला सिद्ध होगा।